धन्य माता कहती हैं, "यीशु की स्तुति हो" ।
“आजकल दुनिया बहुत बड़े आध्यात्मिक खतरे में है। मानव जाति ने पाप को उसके अधिकार देकर और विवाह को फिर से परिभाषित करके भगवान के आदेशों को उलट दिया है। पाप की ये नई मिली 'स्वतंत्रताएँ' अतीत के संस्कृतियों जैसी कामुकता में दुनिया के नैतिक पतन का कारण बन रही हैं।”
“इस मिशन के अच्छे फल मेरे पुत्र के दुखी हृदय पर एक उपचारात्मक मरहम हैं। यह यहाँ कुछ लोगों के प्रयास ही हैं जो मेरे पुत्र की न्याय को रोक रहे हैं।"